लेखनी कहानी -18-Jun-2024
शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग.....एक सच ************"" आज रंजन बहुत खुश था क्योंकि रंजन का बीसीए का रिजल्ट आने वाला था और रंजन के माता-पिता राजू और नितिन भी बहुत खुश थी कि उनका बेटा अब जवान हो गया है और उनके जीवन में एक सहारा बनेगा और सभी मोहल्ले वाले रजंन को बहुत प्यार करते थे। रंजन भी मोहल्ले में कभी भी किसी की भी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहता था और रंजन के माता-पिता राजू और नितिन की आदत बहुत ही मिलन सार थी। मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच के साथ अगले पल अगले क्षण क्या होने वाला है किसी को ना मालूम था और रंजन खुशी-खुशी अपने कॉलेज अपना रिजल्ट देखने के लिए दोस्तों के साथ झूमता गाता चल जा रहा था और जब वह कॉलेज पहुंचता है तो कॉलेज में उसकी जो क्लास की लड़कियां थी जो रंजन को एक दोस्त की तरह चाहती थी वह बहुत खुश हो जाती है और रंजन को कॉलेज के गेट पर ही उसका रिजल्ट दे देती है क्योंकि रंजन बहुत हंसमुख और मिलनसार था और सभी कॉलेज के दोस्त उसके परिवार से मिलजुल चुके थे। रंजन के सभी दोस्त रंजन से कहते हैं अब तो पार्टी बनती है कोई बात नहीं पार्टी बहुत बढ़िया होगी और सभी को अपने घर पर पार्टी के लिए निमंत्रण देता है और सभी दोस्त शाम को रंजन की घर आ जाते हैं और रंजन की माता-पिता दोनों सभी बच्चों को होटल से आइसक्रीम खाना और तरह-तरह की चीज मंगा कर रंजन की पार्टी में चार चांद लगा देते हैं। सच तो यही है रंजन राजू और नितिन का एकमात्र सहारा था और रंजन बीसीए करने के साथ-साथ एक कंप्यूटर टीचर की नौकरी भी करता था परंतु समय और जीवन का किसको क्या पता होता है। अचानक रंजन की बाएं पैर पर एक फोड़ा सा निकलता है। रंजन को इस बात की कोई चिंता ना होती है परंतु रंजन की मां और पिता दोनों बहुत चिंतित हो जाती है और वह रंजन डॉक्टर के यहां ले जाकर रंजन की फोड़े का इलाज कराते हैं। परंतु मेरा भाग और कुदरत के रंग एक सच होता है समय के साथ-साथ सुख-दुख जीवन का आईना होते है। डॉ रंजन का फोड़ा देखकर परीक्षण करके रंजन के माता-पिता को कैंसर का असर बताते हैं। रंजन की माता-पिता की तो जिंदगी ही खत्म हो जाती है यह सुनकर दोनों कैंसर के अस्ताल की ओर भाग दौड़ शुरू कर देते हैं। और उधर रंजन के मोहल्ले वाले और दोस्त सभी रंजन की चिंता करने लगते हैं और जिसका जैसा सहयोग होता है वह रंजन का और रंजन के माता-पिता का सहयोग करते है परंतु मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच कहते हैं बस रंजन के इलाज करते-करते रंजन की बीमारी बढ़ती जाती है और एक समय डॉक्टर रंजन की माता-पिता को रंजन की जिंदगी का समय निश्चित कर देता है रंजन के माता-पिता तो शायद सुनकर ही मर चुके थे परंतु कुदरत और भाग्य का रंग एक सच होता है उसे बदला तो नहीं जा सकता और एक सुबह रंजन अपने पिता की बाहों में दम तोड़ देता है। रंजन की जिंदगी खत्म हुई रंजन की माता-पिता का तो जीवन ही दुखों से भर जाता है। और मेरा भाग्य कुदरत के रंग एक सच कहा जाता है की समय और ईश्वर और भगवान सब निस्वार्थ होते हैं हर एक मनुष्य के अपने कर्म और भाग्य होता है परंतु किसी की हाथ में कुछ नहीं होता है और रंजन की माता-पिता जिंदगी भर के लिए रोते हुए रह जाते हैं ऐसे समय पर ना कोई जीवन का सच कहां भाग्य के रंग ना ईश्वर की पूजा काम आती है बस मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच यही कह जाते हैं कि जो हमने जीवन में किया है उसका कर्म का फल कभी ना कभी मिलता है परंतु हम सभी उसे कर्म फल से अनजान होते हैं और जीवन जीते रहते हैं सुख-दुख सभी के साथ होते हैं परंतु जिसका एक मात्र सहारा ही न रह गया हो वह जीवन में कैसे जिए और क्या भगवान को पूजे और विश्वास करें। सच तो जीवन का अंत होता ही है परंतु समय के साथ जीवन का अंत और जन्म दोनों अलग-अलग महत्व रखते हैं ऐसा ही कुछ रंजन की माता-पिता की सोच थी फिर भी समय बदलता है और रंजन की मृत्यु के बाद भी रंजन के माता-पिता को जीवन जीना पड़ता है। सच तो यही है की भाग्य और कुदरत के रंग एक सच कह जाते हैं हम जीवन में केवल आशाएं और उम्मीद ईश्वर से लगाते रहते हैं परंतु ईश्वर भी निस्वार्थ भाव कर्म फल के सामने ईश्वर भी कुछ नहीं कर पाता और यही जीवन का सच है मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच कहा जाता है। मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच कहता है समय ईश्वर भक्ति सब कुछ सांसारिक मोह माया के साथ रहती है सच तो किसी को पता नहीं परंतु कहते हैं लोग कर्म का फल अमिट होता है। शायद यही जीवन का सच है और हम सभी अपने-अपने कर्मों के साथ साथ रहते हैं। और रंजन के परिवार वालों को अपने ईश्वर का पूरा-पूरा भरोसा अब विश्वास था वह रंजन को बचा लेंगे परंतु परंतु हम सभी को यह नहीं मालूम हर एक मानव जीवन का जन्म से लेकर मृत्यु तक आदमी का अपना अपना भाग्य होता हैं। और हम सभी इस भाग्य के साथ-साथ हम सभी जीवन में हम सभी जीवन को समझते हैं हम इंसान ईश्वरकी महिमा को नहीं समझ सकते हैं और अपने जीवन को भाग गए और तरह-तरह की सोच से अपने जीवनको दुखी और दुखमय बना लते हैं। क्योंकि हम समाज के साथ-साथ हम सुख की कामना करते हैं। दुख तो हम सपने में भी नहीं सोचते हैं परंतु हम सब यह भूल जाते हैं सब सांसारिक है हमारा स्थाई कुछ भी नहीं है जिससे हम सब एक दूसरे को भाग्य के अनुसार गलत बताते हैं। किस्मत और भाग्य बुरा समझते परंतु ऐसा सच नहीं है। क्योंकि जब जन्म हुआ है। मृत्यु निश्चित केवल हम सब सांसारिक समय से अगर हमारे साथ कोई घटना दुर्घटना होती है तो वह हम आसानी से सहन कर सकते या नहीं निर्णय समय और परिस्थितियां करती हैं। मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच यही हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र
Neeraj Agarwal
18-Jun-2024 12:18 PM
शेयर नहीं हो रही है
Reply